Durga Puja Special: दुर्गा पूजा का ज़िक्र आते ही मन में माँ दुर्गा की भक्ति, पंडाल की रौनक, ढोल की थाप, और वो मंदिर के भोग की मिठास तैरने लगती है। बंगाल में दुर्गा पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐसा उत्सव है जो दिल, आत्मा, और ज़ुबान को जोड़ता है। और जब बात भोग की हो, तो मिठाइयाँ तो बनती ही हैं! माँ को चढ़ाई जाने वाली मिठाइयाँ न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होती हैं, बल्कि ये परिवार और समुदाय को एक साथ लाती हैं।
कोलकाता की गलियों में दुर्गा पूजा के दौरान मिठाई की दुकानों पर रौनक छा जाती है, लेकिन क्या हो अगर वही मिठास आप अपने घर पर बना लें? जी हाँ, इस लेख में हम बात करेंगे 5 ऐसी पारंपरिक बंगाली मिठाइयों की, जो दुर्गा पूजा के लिए परफेक्ट हैं और घर पर आसानी से बनाई जा सकती हैं। ये मिठाइयाँ न सिर्फ माँ को चढ़ाने के लिए शानदार हैं, बल्कि मेहमानों को खिलाने और त्योहार की खुशी को दोगुना करने के लिए भी बेहतरीन हैं। तो कमर कस लीजिए एक मिठास भरे सफर के लिए!
दुर्गा पूजा और मिठाइयों का रिश्ता
दुर्गा पूजा बंगाल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का प्रतीक है। इस दौरान माँ दुर्गा को भोग चढ़ाना एक खास परंपरा है, और मिठाइयाँ इस भोग का अहम हिस्सा हैं। मिठाइयाँ सिर्फ स्वाद का मामला नहीं, बल्कि माँ के प्रति श्रद्धा, प्रेम, और समृद्धि का प्रतीक हैं। इन्हें पहले माँ को चढ़ाया जाता है, फिर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। बंगाल में कहते हैं, “मिठाई के बिना भोग अधूरा है।”
बंगाली मिठाइयाँ अपनी अनोखी बनावट और स्वाद के लिए जानी जाती हैं। ये दूध, छेना, गुड़, और नारियल जैसी सामग्रियों से बनती हैं, और इनमें सादगी के साथ-साथ गहरा ज़ायका होता है। इस लेख में हम 5 ऐसी मिठाइयाँ चुन रहे हैं, जो दुर्गा पूजा के भोग के लिए उपयुक्त हैं और घर पर आसानी से बन सकती हैं। ये मिठाइयाँ न सिर्फ स्वाद में लाजवाब हैं, बल्कि इन्हें बनाते समय माँ की भक्ति का भाव भी मन में जगता है।
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1. संदेश (Sandesh)

संदेश बंगाल की सबसे मशहूर और सात्विक मिठाई है, जो दुर्गा पूजा के भोग में अक्सर चढ़ाई जाती है। ये छेना से बनी नरम और मलाईदार मिठाई है, जो हर बंगाली के दिल के करीब है।
संदेश बंगाल की सबसे मशहूर और प्यारी मिठाइयों में से एक है, जो अपनी नाज़ुक बनावट और हल्की मिठास के लिए जानी जाती है। इसे ताज़े छेना (पनीर) और चीनी या गुड़ से तैयार किया जाता है। कभी-कभी इसमें इलायची, केसर, गुलाबजल या पिस्ता-बादाम डालकर इसका स्वाद और भी खास बना दिया जाता है।
संदेश की खासियत इसकी सॉफ्ट और मेल्ट-इन-माउथ टेक्सचर में है। इसे कई तरह के आकार और डिज़ाइन में ढाला जाता है – जैसे गोल, चौकोर या फिर फूल-पत्तियों की आकृतियों में। दुर्गा पूजा और बंगाल के अन्य त्योहारों में संदेश का बहुत महत्व होता है और इसे प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है।
संदेश सिर्फ एक मिठाई नहीं बल्कि बंगाली संस्कृति और मिठास का प्रतीक है। हल्की मिठास, छेना की नर्मी और पारंपरिक अंदाज़ इसे ऐसा डेज़र्ट बनाते हैं जिसे हर उम्र के लोग बेहद पसंद करते हैं। 🍬🥥✨
सामग्री (10-12 संदेश के लिए):
- ताज़ा छेना (दूध से बना): 1 कप
- चीनी: 1/2 कप (या स्वादानुसार)
- इलायची पाउडर: 1/2 छोटा चम्मच
- केसर: चुटकी भर (वैकल्पिक)
- पिस्ता (बारीक कटा): 8-10 (सजावट के लिए)
- घी: 1 छोटा चम्मच (मोल्ड्स को चिकना करने के लिए)
बनाने की विधि:
- छेना तैयार करें: 1 लीटर दूध को उबालें और 2 बड़े चम्मच नींबू का रस डालकर फटने दें। छेना को मलमल के कपड़े में छानकर ठंडे पानी से धो लें। अतिरिक्त पानी निकालने के लिए 10 मिनट तक लटकाएं।
- मिश्रण बनाएं: छेना को एक चिकनी सतह पर 5-7 मिनट तक गूंधें जब तक वो नरम और चिकना न हो जाए। चीनी डालकर और 2 मिनट गूंधें।
- पकाएं: एक नॉन-स्टिक पैन में छेना-चीनी मिश्रण को धीमी आंच पर 5 मिनट तक पकाएं, जब तक ये गाढ़ा न हो जाए। इलायची पाउडर और केसर डालें।
- आकार दें: मिश्रण को थोड़ा ठंडा होने दें। छोटे-छोटे गोले बनाएं और मोल्ड्स में दबाकर संदेश का आकार दें। पिस्ता से सजाएं।
- सुझाव: ठंडा होने पर परोसें। इसे 2-3 दिन तक फ्रिज में स्टोर कर सकते हैं।
💡 टिप: छेना को ज़्यादा न पकाएं, वरना संदेश सख्त हो सकता है। ताज़ा छेना स्वाद को और बेहतर बनाता है।
सांस्कृतिक महत्व: संदेश मिठास और शुद्धता का प्रतीक है। इसे माँ को चढ़ाने से समृद्धि और सुख का आशीर्वाद मिलता है।
2. चमचम (Chomchom)

चमचम एक रसीली और चाशनी से भरी बंगाली मिठाई है, जो दुर्गा पूजा के दौरान भोग और मेहमानों के लिए परफेक्ट है। ये छेना से बनती है और इसका स्वाद हर किसी को भाता है।
चमचम बंगाल की एक पारंपरिक और बेहद लोकप्रिय मिठाई है, जो रसगुल्ले और संदेश की तरह ही छेना (पनीर) से बनाई जाती है। इसकी पहचान इसकी लंबी, अंडाकार शेप और अंदर से नरम-स्पंजी टेक्सचर में है। चमचम को शक्कर की चाशनी में पकाया जाता है, जिससे यह रस से भरपूर और हल्की-सी मिठास वाली हो जाती है।
इस मिठाई की खासियत है इसका अलग-अलग अंदाज़ – कहीं इसे नारियल के बुरादे में लपेटा जाता है, तो कहीं इसके ऊपर मलाई, खोया या ड्राई फ्रूट्स की सजावट की जाती है। इसका स्वाद साधारण रसगुल्ले से ज्यादा रिच और स्पेशल माना जाता है। त्योहारों, शादियों और खास मौकों पर चमचम की मौजूदगी मिठाई की थाली को और भी खास बना देती है।
चमचम न सिर्फ एक मिठाई है, बल्कि बंगाल की मिठास और परंपरा का प्रतीक है। इसका हर बाइट दिल को खुश कर देता है और यही वजह है कि यह पूरे भारत में बेहद पसंद की जाती है। 🍬🥥✨
सामग्री (8-10 चमचम के लिए):
- ताज़ा छेना: 1 कप
- चीनी: 1.5 कप (चाशनी के लिए)
- पानी: 4 कप (चाशनी के लिए)
- मैदा: 1 छोटा चम्मच
- इलायची पाउडर: 1/4 छोटा चम्मच
- मावा (खोया): 1/4 कप (भरने के लिए)
- पिस्ता या बादाम (बारीक कटे): सजावट के लिए
बनाने की विधि:
- छेना तैयार करें: दूध को फाड़कर छेना बनाएं, जैसा संदेश में बताया गया। छेना को गूंधकर चिकना करें और इसमें मैदा मिलाएं।
- गोले बनाएं: छेना से छोटे-छोटे अंडाकार गोले बनाएं।
- चाशनी बनाएं: चीनी और पानी को उबालकर हल्की चाशनी बनाएं। इलायची पाउडर डालें।
- चमचम पकाएं: छेना के गोले चाशनी में डालें और 15 मिनट तक मध्यम आंच पर पकाएं। ठंडा होने दें।
- भरें और सजाएं: चमचम को बीच से चीरकर मावा भरें। पिस्ता या बादाम से सजाएं।
- सुझाव: ठंडा परोसें, ताकि चाशनी अच्छे से समा जाए।
💡 टिप: चमचम को चाशनी में ज़्यादा देर न पकाएं, वरना वो सख्त हो सकता है। मावा की जगह क्रीम भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
सांस्कृतिक महत्व: चमचम उत्सव और खुशी का प्रतीक है, जो दुर्गा पूजा की रौनक को बढ़ाता है।
3. मिहिदाना (Mihidana)

मिहिदाना एक बंगाली मिठाई है जो छोटे-छोटे बूंदी के दानों जैसी होती है। ये हल्की, मीठी, और भोग के लिए शानदार है।
मिहिदाना बंगाल की एक पारंपरिक और बेहद खास मिठाई है, जिसे “शिरोमणि मिठाई” भी कहा जाता है। इसका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – मिहि यानी बारीक और दाना यानी दानेदार। दरअसल यह बहुत ही बारीक बूंदी जैसी होती है, जिसे बेसन (या कॉर्न फ्लोर), केसर और घी से तैयार घोल को छेद वाले कलछी से गरम तेल/घी में तलकर बनाया जाता है। तले हुए इन छोटे-छोटे दानों को शक्कर की हल्की चाशनी में डुबोया जाता है, जिससे ये मीठे और खुशबूदार हो जाते हैं।
मिहिदाना का स्वाद हल्का, कुरकुरा और नाज़ुक मिठास से भरा होता है। इसे आमतौर पर सादा ही खाया जाता है, लेकिन कई बार इसे सीताभोग के साथ परोसा जाता है, जो बंगाल की मिठाइयों में एक बेहतरीन कॉम्बिनेशन माना जाता है। यह मिठाई खासकर बर्दवान (पश्चिम बंगाल) की मशहूर है और वहां की पहचान बन चुकी है।
मिहिदाना सिर्फ मिठाई नहीं बल्कि बंगाल की विरासत है। इसके सुनहरे दाने और अनोखा स्वाद हर त्योहार और खास मौके को और भी मीठा बना देते हैं। 🍯✨
सामग्री (4 लोगों के लिए):
- बेसन: 1 कप
- चीनी: 1.5 कप
- पानी: 1/2 कप (चाशनी के लिए)
- घी: तलने के लिए
- केसर: चुटकी भर
- इलायची पाउडर: 1/4 छोटा चम्मच
- पानी: बैटर के लिए
बनाने की विधि:
- बैटर बनाएं: बेसन में पानी डालकर पतला बैटर बनाएं, जो बहता हुआ हो।
- चाशनी बनाएं: चीनी और पानी को उबालकर एक तार की चाशनी बनाएं। केसर और इलायची पाउडर डालें।
- मिहिदाना तलें: घी को गर्म करें। बेसन बैटर को छलनी से गर्म घी में डालें ताकि छोटे-छोटे दाने बनें। सुनहरा होने तक तलें।
- चाशनी में डालें: तले हुए दानों को चाशनी में डालकर 5 मिनट भिगोएं। निकालकर ठंडा करें।
- सुझाव: गरम या ठंडा, दोनों तरह से परोस सकते हैं।
💡 टिप: मिहिदाना के दाने छोटे और एकसमान हों, इसके लिए छलनी का इस्तेमाल करें।
सांस्कृतिक महत्व: मिहिदाना सादगी और मिठास का प्रतीक है, जो भोग में हल्कापन लाता है।
4. ल्यांगचा (Lyangcha)

ल्यांगचा एक लंबी, चाशनी में डूबी छेना की मिठाई है, जो दुर्गा पूजा के भोग में शामिल हो सकती है। इसका स्वाद और बनावट इसे खास बनाती है।
ल्यांगचा बंगाल (खासकर बर्दवान और नादिया ज़िले) की बेहद मशहूर और पारंपरिक मिठाई है। यह दिखने में गुलाबजामुन जैसा लगता है लेकिन इसका स्वाद और टेक्सचर दोनों अलग होते हैं। इसे छेना (पनीर) और खोए के मिश्रण से बनाया जाता है। आटे जैसे गूंथे इस मिश्रण को अंडाकार (लंबी) शेप देकर धीमी आंच पर तलते हैं और फिर शक्कर की चाशनी में डुबो देते हैं।
ल्यांगचा बाहर से हल्का कुरकुरा और अंदर से बेहद मुलायम होता है। इसका हर निवाला रसीला और भरपूर स्वाद से भरा होता है। इसे कई बार खोए या सूखे मेवों से सजाकर और भी रिच बनाया जाता है। यह मिठाई खासतौर पर त्योहारों, शादियों और दावतों में ज़रूर परोसी जाती है।
ल्यांगचा सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि बंगाल की मिठास और परंपरा का प्रतीक है। कहते हैं कि इसका नाम “ल्यांगचा” स्थानीय बोली से आया, जिसका मतलब है लंबा आकार। यानी इसकी लंबी आकृति ही इसका नाम बन गई। 😋
सामग्री (8-10 ल्यांगचा के लिए):
- ताज़ा छेना: 1 कप
- चीनी: 1.5 कप (चाशनी के लिए)
- पानी: 4 कप (चाशनी के लिए)
- मैदा: 1 छोटा चम्मच
- इलायची पाउडर: 1/4 छोटा चम्मच
- गुलाब जल: 1 छोटा चम्मच
बनाने की विधि:
- छेना तैयार करें: छेना को गूंधकर चिकना करें। मैदा मिलाएं।
- आकार दें: छेना से लंबे, बेलनाकार टुकड़े बनाएं।
- चाशनी बनाएं: चीनी और पानी से हल्की चाशनी बनाएं। गुलाब जल और इलायची पाउडर डालें।
- ल्यांगचा पकाएं: छेना के टुकड़ों को चाशनी में डालकर 15-20 मिनट तक पकाएं। ठंडा करें।
- सुझाव: ठंडा परोसें, ताकि चाशनी अच्छे से समा जाए।
💡 टिप: ल्यांगचा को नरम रखने के लिए छेना को अच्छे से गूंधें।
सांस्कृतिक महत्व: ल्यांगचा उत्सव की भव्यता को दर्शाता है और भोग में मिठास जोड़ता है।
5. पति सप्ता (Patishapta)

पति सप्ता एक बंगाली पैनकेक मिठाई है, जिसमें नारियल और गुड़ की भरावन होती है। ये दुर्गा पूजा के लिए एक शानदार मिठाई है।
पति सप्ता बंगाल की एक पारंपरिक और बेहद लोकप्रिय मिठाई है, जो खासकर मकर संक्रांति (पोउष संक्रांति) के समय हर घर में ज़रूर बनती है। यह दरअसल पतली क्रेप जैसी पैनकेक होती है, जिसे चावल के आटे, मैदा और सूजी के घोल से तैयार किया जाता है। तवे पर हल्का सा सेंकने के बाद इसमें नारियल, खोया और गुड़ की मीठी भरावन भरकर रोल कर दिया जाता है।
पति सप्ता की खासियत है इसकी नरमी और भरावन की खुशबू। गुड़ और नारियल की मिठास, खोए की मलाई और इलायची की खुशबू मिलकर इसे बेहद स्वादिष्ट बना देती है। इसे गरमागरम खाने का मज़ा तो अलग ही होता है, लेकिन ठंडा होने पर भी यह उतना ही लाजवाब लगता है।
पति सप्ता सिर्फ एक मिठाई नहीं बल्कि बंगाल की संक्रांति परंपरा का अहम हिस्सा है। इस दिन घर-घर में तरह-तरह के पिठे-पुली बनते हैं और उनमें पति सप्ता की अपनी खास जगह होती है। यह मिठाई हर बाइट में त्योहार की मिठास और घर की गर्माहट का एहसास दिलाती है। 🥥🌾🍬
सामग्री (8-10 पति सप्ता के लिए):
- मैदा: 1 कप
- सूजी: 1/4 कप
- चावल का आटा: 1/4 कप
- दूध: 1.5 कप
- कद्दूकस नारियल: 1 कप
- गुड़: 1/2 कप
- खोया: 1/4 कप
- इलायची पाउडर: 1/4 छोटा चम्मच
- घी: तलने के लिए
बनाने की विधि:
- बैटर बनाएं: मैदा, सूजी, और चावल के आटे को दूध के साथ मिलाकर पतला बैटर बनाएं। 30 मिनट रखें।
- भरावन तैयार करें: एक पैन में नारियल, गुड़, और खोया को धीमी आंच पर पकाएं जब तक मिश्रण गाढ़ा न हो जाए। इलायची पाउडर डालें।
- पैनकेक बनाएं: नॉन-स्टिक पैन में घी लगाकर बैटर डालें और पतला पैनकेक बनाएं। बीच में भरावन रखकर लपेटें।
- सुझाव: गरम परोसें, ताकि स्वाद और बढ़े।
💡 टिप: पैनकेक को पतला और नरम रखें, ताकि भरावन अच्छे से लपेटी जा सके।
सांस्कृतिक महत्व: पति सप्ता मिठास और एकता का प्रतीक है, जो परिवार के साथ साझा करने के लिए परफेक्ट है।
मिठाइयों का सांस्कृतिक महत्व
दुर्गा पूजा में मिठाइयाँ सिर्फ स्वाद का हिस्सा नहीं, बल्कि बंगाल की संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग हैं। ये मिठाइयाँ माँ के प्रति श्रद्धा और परिवार की एकता को दर्शाती हैं। इन्हें चढ़ाने और बांटने की परंपरा समुदाय में प्यार और खुशी फैलाती है।
घर पर मिठाई बनाने के टिप्स
- ताज़ा सामग्री: ताज़ा छेना, नारियल, और गुड़ का इस्तेमाल करें।
- सात्विकता: भोग के लिए मिठाइयाँ बनाते समय शुद्धता का ध्यान रखें।
- सही अनुपात: चाशनी और मिश्रण का बैलेंस सही रखें।
- भक्ति का भाव: माँ का ध्यान करते हुए मिठाइयाँ बनाएं।
🍮🌸 Durga Puja Special 5 मिठाइयाँ FAQs
1. दुर्गा पूजा पर सबसे लोकप्रिय मिठाइयाँ कौन-सी हैं?
👉 रसगुल्ला, संदेश, खीर (पायस), मिष्ठी दोई और नारियल के लड्डू — ये पाँच मिठाइयाँ दुर्गा पूजा पर सबसे ज़्यादा बनाई और खाई जाती हैं।
2. क्या रसगुल्ला घर पर आसानी से बन सकता है?
👉 जी हाँ, दूध फाड़कर उससे छेना (पनीर) बनाया जाता है और फिर चाशनी में उबालकर रसगुल्ले तैयार किए जाते हैं।
3. संदेश किससे बनता है?
👉 संदेश भी छेना से बनता है, इसमें चीनी/गुड़ और इलायची डालकर अलग-अलग शेप्स में तैयार किया जाता है।
4. मिष्ठी दोई क्यों खास है?
👉 यह बंगाल की मशहूर मीठी दही है जो गुड़ या चीनी मिलाकर जमाई जाती है। पूजा और त्योहारों में इसका अलग महत्व है।
5. पायस (खीर) भोग में क्यों ज़रूरी होता है?
👉 पायस को माँ दुर्गा को भोग स्वरूप चढ़ाया जाता है। यह चावल, दूध और चीनी/गुड़ से बनी सरल और पवित्र मिठाई है।
6. नारियल के लड्डू कितने आसान हैं?
👉 बहुत आसान! नारियल बूरा, चीनी और दूध/कंडेंस्ड मिल्क मिलाकर झटपट तैयार किए जा सकते हैं।
7. क्या ये सभी मिठाइयाँ प्याज़-लहसुन फ्री होती हैं?
👉 जी हाँ, ये पूरी तरह सात्विक मिठाइयाँ हैं और पूजा के समय घर पर बनाना शुभ माना जाता है।
8. क्या इन मिठाइयों को पहले से बनाया जा सकता है?
👉 हाँ, मिष्ठी दोई, नारियल लड्डू और पायस पहले से बनाकर रखा जा सकता है। लेकिन रसगुल्ला और संदेश ताज़ा बनाना बेहतर होता है।
9. सब्जियों का रंग और पोषण बनाए रखने के लिए क्या करें?
👉 सब्जियों को ज्यादा देर तक न पकाएँ और पकाने के बाद तुरंत ठंडे पानी में डालें (ब्लांचिंग)।
निष्कर्ष
इस दुर्गा पूजा, अपनी रसोई में इन पांच स्वादिष्ट बंगाली मिठाइयों को बनाकर उत्सव की मिठास को दोगुना करें! अपने प्रियजनों के साथ इन मिठाइयों का आनंद लें और इन्हें भोग के रूप में माँ दुर्गा को अर्पित करें। इन्हें इलायची, केसर या मेवों से सजाकर और भी खास बनाएं। अगर आपने इन रेसिपीज़ में कोई अनूठा ट्विस्ट जोड़ा हो, तो उसे हमारे साथ जरूर साझा करें। माँ दुर्गा के आशीर्वाद के साथ, स्वाद, परंपरा और खुशियों से भरे इस उत्सव को अविस्मरणीय बनाएं!
दुर्गा पूजा का असली मज़ा मिठाइयों की मिठास में है। संदेश, चमचम, मिहिदाना, ल्यांगचा, और पति सप्ता – ये 5 बंगाली मिठाइयाँ आपके घर में त्योहार की रौनक लाएंगी। इन्हें बनाएं, माँ को चढ़ाएं, और अपनों के साथ खुशियाँ बांटें।

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