दुर्गा पूजा का ज़िक्र आते ही मन में माँ दुर्गा की भक्ति, पंडाल की सजावट, ढोल की थाप, और वो मंदिर के भोग का लाजवाब स्वाद तैरने लगता है। बंगाल का ये त्योहार सिर्फ पूजा-पाठ का नहीं, बल्कि खाने-पीने, अपनों के साथ हंसी-खुशी बांटने, और माँ के आशीर्वाद का उत्सव है। दुर्गा पूजा का भोग तो मानो इस त्योहार की रूह है – वो सात्विक, शुद्ध, और दिल को सुकून देने वाला खाना, जो ज़ुबान पर स्वाद और मन में भक्ति का जादू बिखेर देता है।
अगर आप सोच रहे हो कि इस दुर्गा पूजा अपने घर पर मंदिर वाला वो अनोखा स्वाद कैसे लाया जाए, तो ये लेख आप के लिए है! आज हम बात करेंगे 5 पारंपरिक बंगाली व्यंजनों की, जो दुर्गा पूजा के भोग का हिस्सा हो सकते हैं और जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकते है। ये रेसिपीज़ नई हैं और पहले बताए गए व्यंजनों (खिचड़ी, लाभड़ा, टमाटर की चटनी, पायेश, रसगुल्ला) से अलग हैं।
दुर्गा पूजा और भोग का महत्व
दुर्गा पूजा भारत के सबसे बड़े और दिल को छू लेने वाले त्योहारों में से एक है। ये सिर्फ माँ दुर्गा की पूजा का अवसर नहीं, बल्कि परिवार और समुदाय को एकजुट करने का मौका है। बंगाल में भोग का खास महत्व है। भोग सिर्फ खाना नहीं, बल्कि माँ के प्रति हमारी श्रद्धा, प्रेम, और आभार का प्रतीक है। इसे पहले माँ को चढ़ाया जाता है, फिर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। कहते हैं, “माँ के भोग के बिना पूजा का रंग फीका है।”
भोग में सात्विक व्यंजन शामिल होते हैं – यानी शुद्ध, सादा, और बिना लहसुन-प्याज के। ये खाना मन, शरीर, और आत्मा को शांति देता है। इस पोस्ट में हम 5 ऐसी पारंपरिक बंगाली रेसिपीज़ की बात करेंगे, जो दुर्गा पूजा के भोग के लिए परफेक्ट हैं। ये व्यंजन न सिर्फ स्वाद में लाजवाब हैं, बल्कि इन्हें बनाते समय माँ के प्रति भक्ति का भाव भी मन में जगता है।
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1. नारकेल नारू (नारियल के लड्डू)

नारकेल नारू, यानी नारियल के लड्डू, बंगाल की एक पारंपरिक मिठाई है जो दुर्गा पूजा के भोग में अक्सर शामिल होती है। ये सात्विक मिठाई बनाना आसान है और इसका स्वाद मंदिर की मिठाई जैसा ही होता है।
नारियल के लड्डू एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है, जो अपनी सादगी और स्वाद दोनों के लिए मशहूर है। इसे ताज़े या सूखे नारियल के बुरादे से बनाया जाता है और इसमें दूध, चीनी या गुड़ डालकर पकाया जाता है। जब मिश्रण गाढ़ा होकर लड्डू बनाने लायक हो जाता है, तब छोटे-छोटे गोले बनाकर इन्हें तैयार किया जाता है। ऊपर से इन्हें सूखे नारियल के बुरादे में लपेटने पर ये और भी आकर्षक लगते हैं।
इस मिठाई की खासियत यह है कि इसे बनाना बहुत आसान है और इसमें ज्यादा सामग्री की ज़रूरत नहीं पड़ती। भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसके कई रूप देखने को मिलते हैं — कहीं इसे सिर्फ चीनी और दूध के साथ बनाया जाता है, तो कहीं गुड़ डालकर इसका देसी और सेहतमंद स्वाद लिया जाता है। त्योहारों, खासकर रक्षाबंधन और गणेश चतुर्थी जैसे मौकों पर नारियल के लड्डू ज़रूर बनाए जाते हैं।
नारियल के लड्डू न सिर्फ स्वादिष्ट होते हैं बल्कि एनर्जी से भरपूर भी होते हैं। नारियल की मिठास और दूध की मलाई मिलकर इसे एक ऐसी मिठाई बनाते हैं, जो हर उम्र के लोगों को बेहद पसंद आती है। 🥥✨🍬
सामग्री (10-12 लड्डू के लिए):
- ताज़ा नारियल (कद्दूकस किया हुआ): 2 कप
- गुड़ (या चीनी): 1 कप
- दूध: 1/4 कप
- इलायची पाउडर: 1/2 छोटा चम्मच
- घी: 1 बड़ा चम्मच
- काजू (बारीक कटे, वैकल्पिक): 8-10
बनाने की विधि:
- नारियल भूनें: एक भारी तले वाली कढ़ाई में घी गर्म करें। कद्दूकस किया नारियल डालें और मध्यम आंच पर 5-7 मिनट तक भूनें, जब तक हल्की खुशबू न आए।
- गुड़ डालें: गुड़ को छोटे टुकड़ों में तोड़कर या चीनी को कढ़ाई में डालें। दूध डालकर मिलाएं और धीमी आंच पर पकाएं जब तक गुड़ पिघल न जाए और मिश्रण गाढ़ा न हो जाए।
- मिश्रण तैयार करें: इलायची पाउडर और काजू डालकर अच्छे से मिलाएं। जब मिश्रण थोड़ा ठंडा हो जाए, तो इसे चम्मच से निकालकर छोटे-छोटे लड्डू बनाएं।
- सुझाव: लड्डुओं को ठंडा होने दें और एयरटाइट डिब्बे में स्टोर करें। माँ को चढ़ाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटें।
टिप: ताज़ा नारियल का इस्तेमाल करें, क्योंकि ये स्वाद को और प्रामाणिक बनाता है। अगर गुड़ उपलब्ध न हो, तो चीनी भी ठीक है, लेकिन गुड़ से बंगाली भोग वाला स्वाद आता है।
सांस्कृतिक महत्व: नारकेल नारू मिठास और सादगी का प्रतीक है। इसे माँ को चढ़ाने से समृद्धि और खुशी का आशीर्वाद मिलता है।
2. शुक्तो (बंगाली मिश्रित सब्जी स्टू)

शुक्तो एक पारंपरिक बंगाली सात्विक व्यंजन है, जो दुर्गा पूजा के भोग में शामिल हो सकता है। ये हल्का, स्वादिष्ट, और पाचन के लिए अच्छा होता है, जिसमें कई सब्जियाँ और हल्के मसाले होते हैं।
बंगाली मिश्रित सब्जी स्टू एक हल्की, पौष्टिक और बेहद सादी डिश है, जिसे बंगाल में अक्सर रोज़मर्रा के खाने के साथ या कभी-कभी पूजा के दिनों में बनाया जाता है। इसे कई तरह की मौसमी सब्ज़ियों जैसे आलू, गाजर, फूलगोभी, बीन्स, सहजन (drumstick), मटर और मूली को हल्के मसालों और अदरक के साथ उबालकर तैयार किया जाता है। इसमें प्याज़ और लहसुन का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिससे यह सात्विक बनी रहती है और पेट पर भी हल्की लगती है।
इस स्टू की खासियत है कि इसमें मसालों का तीखापन नहीं होता, बल्कि सब्ज़ियों का असली स्वाद और उनका नैचुरल फ्लेवर उभरकर आता है। हल्की-सी मिठास, थोड़ी खट्टास और सूप जैसा टेक्सचर इसे बाकी भारतीय सब्ज़ियों से अलग बनाता है। इसे अक्सर गरमागरम भात (चावल) या रोटी के साथ परोसा जाता है।
बंगाली मिश्रित सब्जी स्टू उन लोगों के लिए परफेक्ट डिश है जो हल्का, हेल्दी और घर जैसा खाना पसंद करते हैं। यह स्वाद और सेहत का ऐसा मेल है, जो हर थाली को संतुलित और सुकूनभरा बना देता है। 🥦🥕🍲
सामग्री (4 लोगों के लिए):
- कच्चा केला: 1 (छोटे टुकड़े)
- मूली: 1 (छोटे टुकड़े)
- बैंगन: 1 (छोटे टुकड़े)
- कड़वी करेला: 1 (पतले कटे)
- ड्रमस्टिक: 2 (छोटे टुकड़े)
- दूध: 1/4 कप
- घी: 2 बड़े चम्मच
- पंच फोरन: 1 छोटा चम्मच
- अदरक पेस्ट: 1 छोटा चम्मच
- हल्दी: 1/4 छोटा चम्मच
- नमक: स्वादानुसार
- पानी: 1 कप
- खसखस पेस्ट: 1 बड़ा चम्मच (वैकल्पिक)
बनाने की विधि:
- सब्जियाँ तैयार करें: सभी सब्जियों को धोकर छोटे टुकड़ों में काट लें।
- मसाले भूनें: कढ़ाई में घी गर्म करें। पंच फोरन डालें और चटकने दें। अदरक पेस्ट डालकर 30 सेकंड भूनें।
- सब्जियाँ पकाएं: कटी सब्जियाँ, हल्दी, और नमक डालें। 1 कप पानी डालकर ढक दें और 15 मिनट तक मध्यम आंच पर पकाएं।
- दूध और खसखस डालें: जब सब्जियाँ नरम हो जाएँ, तो दूध और खसखस पेस्ट डालकर 5 मिनट और पकाएं।
- सुझाव: शुक्तो को गरम परोसें। ये सादा चावल या भोग की खिचड़ी के साथ शानदार लगता है।
टिप: शुक्तो में कड़वाहट और मिठास का संतुलन होना चाहिए। अगर खसखस उपलब्ध न हो, तो इसे छोड़ सकते हैं, लेकिन ये स्वाद को गहराई देता है।

Bengali Shukto
Ingredients
Method
- सब्ज़ियों को हल्का-सा तल लें ताकि उनका रंग और स्वाद बरकरार रहे।
- अलग रख दें।
- कढ़ाही में सरसों का तेल गरम करके स्मोक करें।
- तेज पत्ता, राई और मेथीदाना डालें।
- अदरक पेस्ट डालकर हल्का भूनें।
- अब सरसों का पेस्ट और खसखस का पेस्ट डालकर 2–3 मिनट भूनें।
- हल्दी और नमक डालें।
- तली हुई सब्ज़ियाँ डालकर अच्छे से मिलाएँ।
- आधा कप दूध और थोड़ा पानी डालकर ढककर पकाएँ।
- जब सब्ज़ियाँ नरम हो जाएँ, तो चीनी और थोड़ा घी डालकर हिलाएँ।
- गैस बंद करके ऊपर से घी डालें।
- गरमागरम शुक्तो परोसें।
Video
Notes
सांस्कृतिक महत्व: शुक्तो को भोग में शामिल करने की परंपरा बंगाल में स्वास्थ्य और संतुलन का प्रतीक मानी जाती है।
3. कुमरो भापा (स्टीम्ड कद्दू)

कुमरो भापा एक सात्विक और हल्का व्यंजन है, जो दुर्गा पूजा के भोग के लिए उपयुक्त है। इसमें कद्दू को मसालों के साथ स्टीम किया जाता है, जो इसे अनोखा स्वाद देता है।
स्टीम्ड कद्दू एक बेहद सिंपल लेकिन सेहतमंद डिश है, जिसे बिना ज्यादा मसाले और तेल के बनाया जाता है। इसमें ताज़े कद्दू को छीलकर टुकड़ों में काट लिया जाता है और फिर हल्का-सा नमक डालकर भाप में पकाया जाता है। स्टीमिंग से कद्दू अपनी प्राकृतिक मिठास, नमी और पोषण बरकरार रखता है, जिससे इसका स्वाद बहुत हल्का और सुकून देने वाला लगता है।
भारत के कई हिस्सों में स्टीम्ड कद्दू को सात्विक भोजन के रूप में पूजा या व्रत के दौरान खाया जाता है। वहीं कुछ जगहों पर इसमें हल्का-सा घी, हरी मिर्च या अदरक डालकर स्वाद बढ़ाया जाता है। इसे चावल, रोटी या खिचड़ी के साथ भी परोसा जा सकता है।
स्टीम्ड कद्दू उन लोगों के लिए बेस्ट है जो हल्का, डाइजेस्टिव और पौष्टिक खाना पसंद करते हैं। इसमें कैलोरी कम होती है लेकिन विटामिन, फाइबर और मिनरल्स भरपूर मिलते हैं। यानी ये डिश साधारण होते हुए भी हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए एकदम परफेक्ट है। 🎃🥗✨
सामग्री (4 लोगों के लिए):
- कद्दू: 500 ग्राम (छोटे टुकड़े)
- नारियल (कद्दूकस किया): 1/2 कप
- सरसों का पेस्ट: 1 बड़ा चम्मच
- हल्दी: 1/4 छोटा चम्मच
- हरी मिर्च: 2 (बारीक कटी)
- नमक: स्वादानुसार
- घी: 1 बड़ा चम्मच
- पानी: 2 बड़े चम्मच
बनाने की विधि:
- मिश्रण तैयार करें: एक कटोरे में कद्दू के टुकड़े, कद्दूकस नारियल, सरसों का पेस्ट, हल्दी, हरी मिर्च, नमक, और घी डालकर अच्छे से मिलाएं।
- स्टीम करें: मिश्रण को एक स्टीमर-सुरक्षित बर्तन में डालें। स्टीमर में 15-20 मिनट तक स्टीम करें, जब तक कद्दू नरम न हो जाए।
- सुझाव: गरम परोसें। इसे चावल या रोटी के साथ खा सकते हैं।
टिप: सरसों का पेस्ट इस डिश का मुख्य स्वाद है। इसे ताज़ा बनाएं ताकि स्वाद तीखा और प्रामाणिक रहे।
सांस्कृतिक महत्व: कुमरो भापा सादगी और शुद्धता का प्रतीक है, जो भोग की सात्विकता को दर्शाता है।
4. चोलार दाल (चना दाल)

चोलार दाल एक स्वादिष्ट और सात्विक बंगाली दाल है, जो दुर्गा पूजा के भोग में शामिल हो सकती है। इसमें नारियल और हल्के मसाले डाले जाते हैं, जो इसे खास बनाते हैं।
चना दाल भारतीय रसोई में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली दालों में से एक है, जो स्वाद और पौष्टिकता दोनों में खास जगह रखती है। यह दरअसल छिलका उतरी हुई काबुली चना या देशी चना होती है, जिसे पकाने पर हल्का-सा मीठा और नट्टी फ्लेवर मिलता है। इसे रोज़मर्रा की दाल के रूप में भी बनाया जाता है और कई तरह के स्नैक्स, मिठाई और स्ट्रीट फूड में भी इस्तेमाल किया जाता है।
चना दाल से बनी दाल न तो बहुत हल्की होती है और न बहुत भारी — इसका टेक्सचर गाढ़ा और भरपेट करने वाला होता है। इसे अदरक, टमाटर, प्याज़ और देसी मसालों के तड़के के साथ पकाया जाता है, जिससे इसका स्वाद बेहद लाजवाब बनता है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग तरीके से बनाया जाता है — जैसे बंगाल में चना दाल को नारियल के टुकड़ों के साथ पकाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में इसे जीरा, हींग और हरी मिर्च के तड़के के साथ परोसा जाता है।
चना दाल न सिर्फ खाने में टेस्टी है, बल्कि प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होने की वजह से सेहत के लिए भी बेहतरीन है। यह रोज़ के खाने को संतुलित और पोषण से भरपूर बनाती है, और हर थाली में इसकी मौजूदगी अपने-आप खाने को खास बना देती है। 🍲✨
सामग्री (4 लोगों के लिए):
- चना दाल: 1 कप
- नारियल (छोटे टुकड़े): 1/4 कप
- घी: 2 बड़े चम्मच
- जीरा: 1 छोटा चम्मच
- तेजपत्ता: 2
- सूखी लाल मिर्च: 2
- अदरक (कद्दूकस): 1 छोटा चम्मच
- हल्दी: 1/4 छोटा चम्मच
- नमक: स्वादानुसार
- चीनी: 1/2 छोटा चम्मच
- पानी: 3 कप
बनाने की विधि:
- दाल तैयार करें: चना दाल को धोकर 30 मिनट भिगो दें। फिर प्रेशर कुकर में 3 कप पानी और हल्दी डालकर 2 सीटी तक पकाएं।
- मसाले भूनें: कढ़ाई में घी गर्म करें। जीरा, तेजपत्ता, और सूखी लाल मिर्च डालें। अदरक डालकर 30 सेकंड भूनें।
- दाल पकाएं: पकी दाल, नारियल के टुकड़े, नमक, और चीनी डालें। 5-7 मिनट तक उबालें।
- सुझाव: गरम परोसें। ये चावल या लुचि (पूरी) के साथ शानदार लगती है।
टिप: चीनी का हल्का सा इस्तेमाल बंगाली चोलार दाल की खासियत है। इसे ज़्यादा न डालें, बस हल्का मीठापन चाहिए।
सांस्कृतिक महत्व: चोलार दाल समृद्धि और संतुष्टि का प्रतीक है, जो भोग में शामिल होने पर माँ का आशीर्वाद लाती है।
5. मालपुआ

मालपुआ एक पारंपरिक बंगाली मिठाई है, जो दुर्गा पूजा के दौरान भोग के रूप में चढ़ाई जा सकती है। ये मीठे और कुरकुरे पैनकेक चाशनी में डूबे होते हैं।
मालपुआ भारत की सबसे पुरानी और पारंपरिक मिठाइयों में से एक है, जो खास मौकों और त्योहारों पर बनाई जाती है। यह एक तरह का देसी पैनकेक है, जिसे मैदा, सूजी, दूध और कभी-कभी केले या नारियल के साथ बैटर बनाकर तवे या तेल में तलकर तैयार किया जाता है। तले हुए मालपुए को फिर चाशनी में डुबोया जाता है, जिससे इसमें हल्की मिठास और बेहद नर्म टेक्सचर आ जाता है।
उत्तर भारत, बिहार, बंगाल और ओडिशा में मालपुआ का अपना-अपना अंदाज़ देखने को मिलता है। कहीं इसमें सौंफ और इलायची का फ्लेवर डाला जाता है, तो कहीं इसे गुड़ से मीठा किया जाता है। ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में मालपुआ को छप्पन भोग का हिस्सा माना जाता है, वहीं बिहार और यूपी में होली और तीज जैसे त्योहारों पर इसे ज़रूर बनाया जाता है।
मालपुआ को अक्सर दही या रबड़ी के साथ परोसा जाता है, जिससे इसका स्वाद दोगुना हो जाता है। बाहर से हल्का कुरकुरा और अंदर से मुलायम मालपुआ खाने में जितना स्वादिष्ट है, उतना ही त्योहारों की मिठास और पारंपरिक भारतीय स्वाद का प्रतीक भी है। 🥞🍯✨
सामग्री (10-12 मालपुआ के लिए):
- मैदा: 1 कप
- सूजी: 1/4 कप
- दूध: 1.5 कप
- चीनी: 1 कप (चाशनी के लिए)
- पानी: 1/2 कप (चाशनी के लिए)
- इलायची पाउडर: 1/2 छोटा चम्मच
- सौंफ: 1/2 छोटा चम्मच
- घी: तलने के लिए
- बादाम (बारीक कटे): 8-10
बनाने की विधि:
- बैटर बनाएं: एक कटोरे में मैदा, सूजी, सौंफ, और दूध मिलाकर गाढ़ा बैटर बनाएं। 30 मिनट के लिए रख दें।
- चाशनी बनाएं: चीनी और पानी को उबालकर एक तार की चाशनी बनाएं। इलायची पाउडर डालें।
- मालपुआ तलें: कढ़ाई में घी गर्म करें। बैटर को छोटे-छोटे हिस्सों में डालकर गोल मालपुआ तलें, जब तक दोनों तरफ सुनहरा न हो जाए।
- चाशनी में डुबोएं: तले हुए मालपुआ को चाशनी में 2 मिनट डुबोएं। बादाम से सजाकर परोसें।
- सुझाव: गरम या ठंडा, दोनों तरह से स्वादिष्ट लगता है।
टिप: मालपुआ को कुरकुरा रखने के लिए बैटर में सूजी ज़रूरी है। घी में तलने से मंदिर जैसा स्वाद आता है।
सांस्कृतिक महत्व: मालपुआ उत्सव और खुशी का प्रतीक है, जो भोग को और खास बनाता है।
मंदिर जैसा स्वाद लाने के टिप्स
- शुद्धता का ध्यान: भोग बनाते समय रसोई साफ रखें और मन में माँ दुर्गा का ध्यान करें।
- घी का जादू: घी का उदारता से इस्तेमाल करें, क्योंकि ये भोग को मंदिर जैसा स्वाद देता है।
- ताज़ा सामग्री: ताज़ा नारियल, सब्जियाँ, और मसाले स्वाद को प्रामाणिक बनाते हैं।
- भक्ति का भाव: खाना बनाते समय माँ के प्रति श्रद्धा रखें, इससे भोग में खास ऊर्जा आती है।
दुर्गा पूजा भोग का सांस्कृतिक महत्व
दुर्गा पूजा का भोग सिर्फ खाना नहीं, बल्कि बंगाल की संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। ये समुदाय को एकजुट करता है और माँ के प्रति श्रद्धा को व्यक्त करता है। भोग बांटने की प्रथा से समाज में एकता और समरसता का संदेश जाता है। घर पर इन व्यंजनों को बनाना न सिर्फ स्वाद का मामला है, बल्कि परिवार के साथ इस त्योहार को और यादगार बनाने का तरीका है।
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1. दुर्गा पूजा पर कौन-सी पारंपरिक बंगाली डिशेज़ सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं?
👉 खिचुड़ी, लाबड़ा, शुक्तो, पायस (खीर) और चटनी — ये पाँच डिशेज़ दुर्गा पूजा में सबसे अहम मानी जाती हैं।
2. भोग वाली खिचुड़ी में क्या खास होता है?
👉 भोग की खिचुड़ी मूँग दाल और गोविंदभोग चावल से बनाई जाती है। इसे हल्के मसालों और घी के साथ पकाया जाता है जिससे इसका स्वाद मंदिर वाले भोग जैसा दिव्य लगता है।
3. लाबड़ा (मिक्स वेज) क्या है?
👉 लाबड़ा एक पारंपरिक बंगाली सब्ज़ी है जो अलग-अलग मौसमी सब्ज़ियों को एक साथ हल्के मसालों और पंच फोरन (बंगाली मसाला) से बनती है।
4. शुक्तो क्यों खास है?
👉 शुक्तो एक कड़वा-मीठा स्वाद वाली सब्ज़ी है जिसमें करेला, लौकी, कच्चा केला और हल्के मसाले डाले जाते हैं। इसे पूजा में पाचन के लिए सबसे पहले परोसा जाता है।
5. क्या मिठाई भी भोग का हिस्सा होती है?
👉 जी हाँ, पायस (चावल की खीर) पूजा की सबसे ज़रूरी मिठाई है। इसे गुड़ या चीनी से बनाया जाता है और मंदिर प्रसाद की तरह बाँटा जाता है।
6. क्या इन डिशेज़ में प्याज़ और लहसुन का इस्तेमाल होता है?
👉 नहीं, भोग वाली डिशेज़ पूरी तरह सात्विक होती हैं और इनमें प्याज़-लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता।
7. क्या ये डिशेज़ सिर्फ पूजा पर ही बनाई जाती हैं?
👉 इन्हें खासतौर पर दुर्गा पूजा और त्योहारों पर बनाया जाता है, लेकिन घरों में लोग इन्हें कभी-कभी सामान्य दिनों में भी बनाते हैं।
8. दाल तड़का और दाल फ्राई में क्या अंतर है?
👉 दाल तड़का में तड़का बाद में डाला जाता है जबकि दाल फ्राई में मसालों के साथ दाल को भूनकर पकाया जाता है।
दुर्गा पूजा पर ज़रूर ट्राई करें ये 5 पारंपरिक बंगाली व्यंजन अंतिम निष्कर्ष
प्रिय मित्रों, दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे भव्य और हृदयस्पर्शी उत्सव है, और इस अवसर को स्वादिष्ट भोजन के बिना अधूरा माना जाता है। पारंपरिक बंगाली व्यंजन इस उत्सव की शान हैं। ये व्यंजन न केवल स्वाद में अनूठे हैं, बल्कि बंगाली संस्कृति और परंपरा की गहराई को भी दर्शाते हैं। इनमें से प्रत्येक रेसिपी, चाहे वह मसालेदार मछली हो, मलाईदार दाल हो, या सुगंधित मांस, हर थाली को उत्सवमय बना देती है। इन्हें चावल, लुची या पराठे के साथ परोसकर आप अपने भोजन को और भी खास बना सकते हैं।
इस दुर्गा पूजा, अपनी रसोई में इन पांच पारंपरिक बंगाली व्यंजनों को बनाकर उत्सव का आनंद दोगुना करें! अपने परिवार और दोस्तों के साथ इन स्वादिष्ट पकवानों को साझा करें, और चटनी, सलाद या रायता के साथ इन्हें परोसकर बंगाली खानपान की समृद्धि का जश्न मनाएं। अगर आपने इन रेसिपीज़ में कोई खास ट्विस्ट जोड़ा हो, तो उसे हमारे साथ जरूर साझा करें। माँ दुर्गा के आशीर्वाद के साथ, स्वाद, परंपरा और प्यार से भरे इस उत्सव को अविस्मरणीय बनाएं!

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